यादों के झरोखे से " ऊंचाईयां "
दोस्तों ! यादों के झरोखे से एक ऐसी बात लेकर आप सभी के समक्ष उपस्थित हुई हूॅं जो हमारे सामाजिक जीवन से संबंधित है। हमारे समाज में आप सब ने भी देखा होगा कि ऊंचाइयां छूने की ललक हर इंसान में होती है और साथ में कुछ विशेष करने की चाहत भी तों होती है । यह ऊंचाइयां यूं ही नहीं मिल जाती इसके लिए अथक प्रयास और परिश्रम की जरूरत होती हैं और यह सब एक-दूसरे में ऐसे पिरोया होता है जैसे एक नदी अपनी बूंदों के साथ।
दोस्तों! अपनी मेहनत के बल पर जो इंसान सफलता पाता है उसकी खुशी हम सब समझ सकते हैं क्योंकि उस दिन आए खुशी के पीछे उसके जीवन की कई रातें ऐसी भी होती है जो उसे इस बात का एहसास कराती है कि उसके जीवन में घोर अंधकार ही अंधकार है लेकिन अपनी इच्छाशक्ति और मेहनत के बल पर वह अंधेरों में भी रोशनी की किरण ढूंढ ही लेता है। मेरे चचेरे भैया भी ऐसी ही प्रवृत्ति के मालिक है या यूं कह सकते है कि थे।
उनकी मेहनत के बल पर उन्हें सफलता मिली बल्कि कम समय में ही मिली थी, यह देखकर हम सभी खुश थे लेकिन कहते हैं ना कि हमारे आस-पास कुछ ऐसे भी इंसान होते हैं जो ऊंचाईयों को पाते ही अहंकारी व्यक्तियों की श्रेणी में आ जाते हैं । हैसीयत रूपी अहंकार का रूप इतना बड़ा हों जाता है कि उन्हें अपनों से कम हैसियत वालों के समकक्ष खड़े होने में भी शर्म महसूस होती है और अपनी हरकतों द्वारा इसका प्रमाण एक ना एक दिन खुद - ब - खुद वें दें देते हैं ।
दोस्तों! सफलता की ऊंचाई पर पहुंचने के बाद हमारे भैया हमारे भैया इसलिए ना रहे क्योंकि अब हम उनकी हैसियत से कम जो हो गए थे, उन्हें तो हम लोगों से बोलने तक में शर्म महसूस होती थी यही वजह थी कि उन्होंने हम सब से अचानक से दूरी बना ली थी। जो भैया दिन रात हम सबके हर खुशी और गम में साथ रहते थे वें भैया हम से कोसों दूर चले गए थे और यह दूरी सिर्फ घरों की नहीं थी बल्कि दिलों की भी थी और तों और उन्होंने ये भी किया जो यह था कि ऐसे कुछ इंसान हमारे समाज में होते हैं जो दूसरों को ऊंचाईयों पर जाने के राह में बाधक भी बनते हैं । ऐसे लोग अपने फायदे का सोचकर उस इंसान का हितैषी बनकर उसे गिराने की कोशिश में लगातार प्रयत्नशील रहते हैं और उन्हें गिरा भी देते हैं जिसका सामने वालों को पता भी नहीं चलता है । ऐसी फितरत वाले इंसान बहुत ख़तरनाक होते हैं । वह अपने सिवा किसी और का भला ना तो चाहते हैं और ना ही होने ही देते हैं।
दोस्तों! मैंने अभी जो बातें कहीं यह सिर्फ कहने की बातें नहीं है इसके भुक्तभोगी हमारा पूरा परिवार रह चुका है जिसके लिए हमारे आसपास के लोग औही जिम्मेदार थे कोई और नहीं।
दोस्तों! जातें - जातें दिल की कुछ बातें 👇
" ऊंचाइयों पर चढ़ने का कोई डर नहीं
डरती तों सिर्फ इससे हूॅं
कोई मुझे झूठा हौसला देकर
गिराने के फिराक में तों नहीं ।
ऊंचाईयों पर चढ़कर अपनी
ज़मीं को भूल जाऊं
ऐसी फितरत तों
मेरे खून में नहीं ।।
ऊंचाईयों पर चढ़कर भी
गिरने का खौफ नहीं
मुझे मालूम है ईश्वर के दरबार में
मेरी कोई हैसियत नहीं "
अब आप सभी से विदा होने का समय आ गया है । चलती हूॅं! फिर से मुलाकात होगी ऐसी ही यादों के झरोखे से निकली यादों के संग से, तब तक के लिए 👇
🙏🏻🙏🏻 आप सभी खुश रहें, मस्त रहें और सबसे महत्वपूर्ण बात हमेशा हॅंसते-मुस्कुराते रहें 🙏🏻🙏🏻
" गुॅंजन कमल " 💗💞💓
Varsha_Upadhyay
16-Dec-2022 07:08 PM
बिल्कुल सही
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Renu
11-Dec-2022 02:55 PM
वक्त के साथ सभी का बदलना तो तय है,,, अगर आज किसी का दिल बदलता है तो कल किसी के दिन जरूर बदलेंगे👍👍😇💐
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